तनहा हम क्यों हैं, भीड़ के बीच में ?
तनहा हम क्यों हैं, भीड़ के बीच में
खफा हम क्यों हैं, जश्ने-बहार में
हम तो बेवफा हो गए, वफाओं की भीड़ में
तनहा हम क्यों हैं, भीड़ के बीच में ?
निकले थे हम अकेले, और कारवां बनता गया
दोस्त बन गए हमसफ़र, और सफर आसान हो गया
काटों से गुज़रे, तूफानों से लड़े, और रिश्ते बनते गए
हम तो खुद ही डूब गए, रिश्तों के समंदर में ।
तनहा हम क्यों हैं …..
आँखों में रहती हैं नमी, पर आँसू नहीं बेहते
हम तो बूंद-बूंद पी गए, प्यार की केहतसाली में
ये मोहब्बत की फाकाकशी कैसी, इश्क-ए-बहार में
छाया क्यों हैं इतना अँधेरा, चल-चिरागों के तले ?
तनहा हम क्यों हैं, भीड़ के बीच में
खफा हम क्यों हैं, जश्ने-बहार में
हम तो बेवफा हो गए, वफाओं की भीड़ में
तनहा हम क्यों हैं भीड़ के बीच में ?
Timothy Gaikwad माटी – ७ अप्रैल २०१८